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Kannada Lineman Movie Review: मार्च का महीना सिनेप्रेमियों के लिए भरपूर मनोरंजन लेकर आया है. मार्च के पहले हफ्ते में तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और मलयालम की करीब दो दर्जन फिल्में रिलीज हुई थीं, दूसरा हफ्ता भी कुछ ऐसा ही है. 15 मार्च को मूलत: तेलुगु फिल्म ‘रजाकार-Razakar’ की काफी चर्चा हो रही है. यता सत्यनारायण के निर्देशन और गुडुरु नारायण रेड्डी द्वारा निर्मित ‘रजाकर’ तेलुगु के अलावा तमिल, कन्नड़, मलयालम के साथ मराठी और हिंदी सहित कई दक्षिणी भाषाओं में रिलीज हुई है. यह हैदराबाद नरसंहार पर आधारित है. इसे ‘द कश्मीर फाइल्स’ के बाद सबसे विवादित फिल्म माना जा रहा है.

खैर, रजाकार जैसी झकझोरने वाली फिल्म के बीच अगर आप कॉमेडी में दिलचस्पी रखते हैं, तो आपके लिए डायरेक्टर और राइटर वी रघु शास्त्री कन्नड़ फिल्म ‘लाइनमैन’ लेकर आए हैं. यह फिल्म तेलुगु में भी देखी जा सकती है. इस समय रियल स्टिक सिनेमा का दौर चल रहा है. वास्तविक कहानियां और कोई सार्थक संदेश देने वालीं फिल्में काफी पसंद की जा रही हैं. ‘लाइनमैन’ शतप्रतिशत वास्तविक घटना पर तो आधारित नहीं है, लेकिन निर्देशक ने अपने आसपास की कुछ सच्चाइयों यानी घटनाओं को फिल्म में गूंथने की सफल कोशिश की है.

करीब 2 घंटे की ये कॉमेडी-ड्रामा फिल्म एक ऐसे गांव की कहानी है, जिसमें कुछ जीवन बचाने की खातिर लोग बिना बिजली के रहने का फैसला करते हैं. इस कोशिश से ग्रामीणों को कितनी मदद मिलती है और कितनी समस्याएं पैदा होती हैं, लाइनमैन का ताना-बाना इन्हीं मजेदार परिस्थितियों के बीच बुना गया है. फिल्म एक व्यंग्य शैली पर बनी है.

फिल्म में लाइनमैन के किरदार में थ्रिगुन ए (Thrigun A) हैं. इन्हें पहले आदिथ अरुण के नाम से जाना जाता था. फिल्म के अन्य कलाकारों में काजल कुंदर, बी जयश्री और हरिणी श्रीकांत हैं. फिल्म के प्रोड्यूसर यतीश वेंकटेश और गणेश पपन्ना हैं. म्यूजिक मणिकांत कादरी ने दिया है. सिनेमेटोग्राफी शांति सागर एचजी की है.

जहां तक वी रघु शास्त्री के विजन की बात है, तो वे सबसे पहले 2016 में बतौर लेखक-निर्देशक कन्नड़ फिल्म रन एंथोनी- Run Antony लेकर आए थे. लाइनमैन उनकी दूसरी फिल्म है. रघु बॉलीवुड के प्रसिद्ध निर्देशक अनुराग कश्यप के असिस्टेंट रहे हैं. इन्होंने कन्नड़ वेब सीरिज लूज़ कनेक्शन- Loose Connection पर भी काम किया था. रघु की फिल्मों में अनुराग कश्यप की छाप दिखती है.

अनुराग कश्यप की ब्लैक फ्राइडे हो या गैंग ऑफ वासेपुर…उनकी फिल्में देखते समय यूं प्रतीक होता है, मानों घटना हमारे आस-पड़ोस की हो. वी रघु की इस फिल्म में भी अपने गुरु यानी अनुराग के प्रति ‘अनुराग’ और आदरांजलि देखने को मिलती है.

मौजूदा समय में बिना बिजली के रहने के बारे में सोचकर ही आप हैरान-परेशान हो जाएंगे. मोबाइल से लेकर टीवी, फ्रिज-पंखे और तमाम जरूरी चीजें बिना बिजली के बेकार हैं. ‘लाइनमैन’ एक सार्थक संदेश देती है कि कैसे लोग सुख-सुविधाओं की होड़ में टेक्नोलॉजी और अन्य भौतिक चीजों पर पूरी तरह निर्भर हो गए हैं. इंसानों ने अपनी प्रॉयोरिटी को कैसे गलत दिशा में मोड़ दिया है. रघु शास्त्री ने इसी मैसेज को बखूबी उठाया है. फिल्म उस दौर को याद दिलाती है, जब बिना बिजली के लोग बड़े आनंद से अपनी जिंदगी गुजारते थे. उनके पास तब मोबाइल-टीवी जैसे उपकरण या गैजेट्स नहीं होते थे, फिर भी वे खुश रहते थे. लालटेन युग में भी अपने सपने संजो लेते थे. मनोरंजन के लिए परपरांगत खेलों का सहारा लेते थे. मिल-बैठकर गपियाते थे, अपना-सुख-दु:ख बांट लेते थे…परंतु ‘बिजली युग’ में सब अंधेरे में डूब गया.

बहरहाल, अगर फिल्म को लेकर जूनियर पावरमैन यानी लाइनमैन की भूमिका में थ्रिगुन ने अपने अभिनय से प्रभावित किया है. पर्पल रॉक इंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी लाइनमैन को लेकर वी रघु कहते हैं कि फिल्म की कहानी लॉकडाउन के दौरान लिखी गई थी.

चूंकि फिल्म की कहानी ग्रामीण परिवेश पर रची गई है, इसलिए लोकेशन दर्शकों को पसंद आएगी. साउथ का सिनेमा ग्रामीण अंचल को बखूवी दिखा रहा है. हिंदी सिनेमा भी अब फिर से यही अनुसरण करने लगा है. यह दर्शकों को अपना देश-अपनी माटी से जोड़ने की एक अच्छी पहल कही जा सकती है.

लाइनमैन की ज्यादातर शूटिंग रघु ने अपने गृहनगर चामराज नगर के चंदकवाड़ी में की है. फिल्म बेंगलुरु फिल्म फेस्टिवल में सराही जा चुकी है. फिल्म का म्यूजिक परंपरागत संगीत को रिप्रेजेंट करता है. सिनेमेटोग्राफी के लिहाज से भी फिल्म अच्छी बन पड़ी है. जो लोग मनोरंजन के साथ अपने देश-समाज को लेकर चिंतन-मनन करते रहते हैं, उनके लिए यह फिल्म एक अच्छा ऑप्शन है.

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

Tags: Film review, South cinema

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