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नई दिल्लीः फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) इन दिनों अपने बयानों को लेकर चर्चा में हैं. हाल ही में अयोध्या में राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के उद्घाटन के बारे में एक बड़ा बयान दे दिया, जिसके चलते वे एक बार फिर सुर्खियों में हैं. कश्यप ने कहा, यह आने वाले समय और देश में अभी क्या हो रहा है, इसका यानी राम मंदिर का ‘विज्ञापन’ था. जाने- माने निर्देशक ने यह भी घोषित किया कि जो पावर में हैं वे जनता के गुस्से का फायदा उठा रही हैं. निर्देशक के इस बयान की तमाम लोग निंदा कर रहे हैं.

अनुराग कश्यप ने श्रीराम मंदिर को बताया धर्म का प्यापार
कोलकाता में एक कार्यक्रम में अनुराग से जब श्रीराम मंदिर के उद्घाटन के बारे में पूछा गया, जिसमें खेल, सिनेमा, व्यापार और राजनीति के क्षेत्र से देश के सबसे बड़े नाम उपस्थित थे. इस पर उन्होंने कहा, ’22 जनवरी को जो हुआ वो एक विज्ञापन था. मैं इसे ऐसे ही देखता हूं. खबरों के बीच जिस तरह के विज्ञापन चलते हैं, उसी तरह यह 24 घंटे चलने वाला विज्ञापन था. मेरे नास्तिक होने का एक प्रमुख कारण यह है कि मेरा जन्म वाराणसी में हुआ था. मेरा जन्म धर्म की नगरी में हुआ है, मैंने धर्म का कारोबार बहुत करीब से देखा है. आप इसे राम मंदिर कहते हैं, लेकिन यह कभी राम मंदिर नहीं था. यह राम लला का मंदिर था और पूरा देश इसका अंतर नहीं बता सकता.’

अनुराग कश्यप बोले, धर्म दुष्टों का अंतिम सहारा है
उन्होंने आगे कहा, ‘किसी ने कहा है, ‘धर्म दुष्टों का अंतिम सहारा है.’ जब आपके पास देने के लिए कुछ नहीं बचता तो आप धर्म की ओर मुड़ते हैं. मैंने हमेशा खुद को नास्तिक कहा है क्योंकि मैंने देखा है कि बड़े होकर निराश लोग मोक्ष की गुहार लगाने के लिए मंदिरों में जाते थे जैसे कि कोई बटन हो जिसे दबाकर वे अपनी सभी समस्याओं को मिटा सकते हैं… क्या कारण है कि वहां कोई हलचल नहीं होती? लोग दिखने से डरते हैं….’अनुराग ने कहा कि ‘हम जिस तरह से लड़ते हैं’ उसके तरीके को बदलना जरूरी है. उन्होंने कहा कि जानकारी को एल्गोरिदम द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है जो लोगों को वही प्रदान करता है जो वे सुनना चाहते हैं, और जो लोग इसे नियंत्रित करते हैं वे बाकी सभी से चार कदम आगे हैं.

अनुराग ने कहा कि लोग वास्तविक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय ‘पोस्टर फाड़ने’ में अपना समय और एनर्जी बर्बाद कर रहे हैं जिन्हें आसानी से बदला जा सकता है. ‘और जबकि आपकी ऊर्जा पोस्टरों को फाड़ने में जा रही है, उनके पास जो करना है उसे करने के लिए हजारों अन्य तरीके हैं. हम बौद्धिक बहस शुरू करके अपना समय बर्बाद कर रहे हैं. मैं उनसे कहता हूं, ‘आप ठीक कह रहे हैं, अब मुझे अपना काम करने दीजिए.’

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